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जिले के बारे में

बस्तर , भारत के छत्तीसगढ़ प्रदेश के दक्षिण दिशा में स्थित जिला है । बस्तर जिले एवं बस्तर संभाग का मुख्यालय जगदलपुर शहर है । इसका क्षेत्रफल 4029.98 वर्ग कि. मी. है ।बस्तर जिला छत्तीसगढ़ प्रदेश के कोंडागांव , दंतेवाड़ा,सुकमा , बीजापुर जिलों से घिरा हुआ है । बस्तर जिले की जनसंख्या वर्ष 2011 में 14,13,199 ,वर्तमान कोंडागांव जिले को सम्मिलित करते हुए थी । जिसमे 6,98,487 पुरुष एवं 7,14,712 महिलाएं थी । बस्तर की जनसन्ख्या मे 70 प्रतिशत जनजातीय समुदाय जैसे गोंड , मारिया , मुरिया , भतरा , हल्बा , धुरुवा समुदाय हैं । बस्तर जिला को सात विकासखंड/तहसील , जगदलपुर , बस्तर , बकावंड , लोहंडीगुडा, तोकापाल , दरभा , बास्तानार में विभाजित किया गया है । बस्तर जिला सरल स्वाभाव जनजातीय समुदाय और प्राकृतिक सम्पदा संपन्न हुए प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सुखद वातावरण का भी धनी है। बस्तर जिला घने जंगलों , ऊँची, पहाड़ियों , झरनों , गुफाओ एवं वन्य प्राणियों से भरा हुआ है। बस्तर जिले के लोग दुर्लभ कलाकृति ,उदार संस्कृति एवं सहज सरल स्वभाव के धनी हैं ।

ऐतिहासिक रूप से बस्तर क्षेत्र रामायण ग्रन्थ में दण्डकरण्य नाम से वर्णित है । महाभारत ग्रन्थ में कोसल साम्रज्य के भाग के रूप में वर्णित है । सन 450 ईसवी में बस्तर क्षेत्र में नल राजा भवदत्त वर्मन का शासन था ।

सन 1324 ईसवी में काकतीय वंश के महाराजा अन्नम देव द्वारा बस्तर का शाही साम्रज्य स्थापित किया गया ।महाराजा अन्नम देव के बाद महाराजा हमीर देव , बैताल देव , महाराजा पुरुषोत्तम देव , महाराज प्रताप देव ,दिकपाल देव ,राजपाल देव ने शासन किया |बस्तर शासन की प्रारंभिक राजधानी बस्तर शहर में बसाई गयी , फिर जगदलपुर शहर में स्थान्तरित की गयी ।बस्तर में अंतिम शासन महाराजा प्रवीर चन्द्र भंज देव (1936-1948) ने किया । महाराजा प्रवीर चन्द्र भंज देव बस्तर के सभी समुदाय के लोकप्रिय शासक थे ।

बस्तर की कुल जनसँख्या का 70 प्रतिशत जनजातीय समुदाय की जनसँख्या है , और छत्तीसगढ़ की कुल जनजातीय जनसँख्या का 26.76 प्रतिशत है । बस्तर की जनजातीय समुदाय जनसन्ख्या मे मुख्य रूप से गोंड , मारिया , मुरिया , भतरा , हल्बा , धुरुवा समुदाय हैं |बस्तर के जनजातीय समुदाय की बड़ी जनसँख्या आज भी घने जंगलों में निवास करती है । बस्तर के जनजातीय समुदाय अपनी संस्कृति , कला , पर्व , सहज जीवन शैली के लिए प्रशिद्ध हैं ।